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दिल्ली हाईकोर्ट ने नर्सरी पर बड़ा फैसला सुनाते हुए दिल्ली सरकार के 7 जनवरी के नोटिफिकेशन पर स्टे लगा दिया है. इसके अलावा कोर्ट ने सरकार के नेबरहुड क्राइटेरिया को भी रद्द कर दिया है.
हाइकोर्ट ने कहा कि सरकार का नोटिफिकेशन पेरेंट्स से उनके अपनी पसंद के स्कूल में दाखिला का अधिकारों छीन रहा था, लिहाजा इसे रद्द किया जाता है.
हाई कोर्ट ने कहा कि क्वालिटी एजुकेशन के नाम पर सरकार प्राइवेट स्कूलों के साथ मनमानी नहीं कर सकती है. हाई कोर्ट के इस फैसले से इस साल नर्सरी एडमिशन को लेकर रास्ता साफ हो गया हैं. सरकार के नोटिफिकेशन के बाद पैदा हुआ संशय खत्म हो गया है और अभिवावकों व स्कूलों के लिए ये बड़ी राहत है.
दिल्ली होईकोर्ट ने नर्सरी एडमिशन पर याचिकाकर्ताओं, अभिभावकों, प्राइवेट स्कूलों और राज्य सरकार की दलीलें करीब डेढ़ महीने सुनने के बाद ये फैसला दिया है.
प्राइवेट स्कूलों ने दिल्ली सरकार की नर्सरी में दाखिले के लिए एलजी के नोटिफिकेशन को हाइकोर्ट मे चुनौती दी थी. नोटिफिकेशन में सरकार ने प्राइवेट स्कूलों को कहा गया था कि डीडीए की जमीन पर बने स्कूल नर्सरी में दाखिला लेने के लिए नेबरहुड क्रेटरिया को लागू करेंगे.
इस नोटिफिकेशन से दिल्ली के 298 निजी स्कूल प्रभावित हो रहे थे. स्कूलों की एक्शन कमेटी का कहना था कि उनके हितों को नुकसान नहीं होना चाहिए और सरकार को छात्रों के बीच कोई भेदभाव नहीं करना चाहिए. बच्चे के माता पिता के पास ये अधिकार होना चाहिए कि वो अपने बच्चे को किस स्कूल में पढ़ाएं.
उनका कहना था कि उन्हें डीडीए की जमीन आवंटित करते समय भी नेबरहुड क्रेटेरिया तय नहीं किया गया था. हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से कहा था कि वे स्कूलों का आवंटन पत्र दिखाएं, जिसके आधार पर नेबरहुड क्रेटेरिया तय किया गया है.
स्कूलों का कहना था कि सरकार का नोटिफिकेशन कानून के मुताबिक नहीं है और ये मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं.